Thursday 19 July 2012

Marathi kavita : हलके हलके

हलके हलके
ध्वनी उमटले
शुभ्र धुक्यातुन
शाल लपेटून
हलके...हलके.

मना भोवती
पिंगा त्यांचा
धूसर धूसर
हलके... हलके

ओझे माथी
अति दुःखाचे
फ़ुंकर करते
हलके... हलके

दूर कुठेसा
लाल गोल तो
प्रकाश फ़ेकी
हलके... हलके

शाल उडाली
मुक्त मनाला
पंख पिसांचे
हलके... हलके

ध्वनी उमटले
शुभ्र धुक्यातुन
शाल झुगारुन
हलके...हलके.



कवि : सुनिल सामंत

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